यह उपन्यास हृदय कोछुनेवाला, प्रेम की सच्ची कहानी है जो एक तकनीकी महाविद्यालय के छात्रों में अच्छाई एवं बुराई को लांघते हुए, प्रेम में सच्चे विजय को दर्षाता है। साथ साथ समाज के बुराईयों को तोड़ते एवं उजाड़ते भी जाता है। इस दषक से शुरू होकर अगली दषक में प्रवेष का जीता-जागता समाज के स्वीकृति की एवं समाज के विकृति के अंत करने की कहानी है। इसमे वैज्ञानिक सोच, मनोवैज्ञानिक दबाब एवं सांस्कृतिक परिवर्तन की विषिष्ट हसीन सफर भी है।
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